मंगल विधान व विघ्नों के नाश हेतु गणेश मंत्र(Mangal Vidhaan Va Vighnon Ke Naash Hetu Ganesh Mantra):-
मंगल विधान व विघ्नों के नाश हेतु गणेश मंत्र का अर्थ हिंदी में(Mangal Vidhaan Va Vighnon Ke Naash Hetu Ganesh Mantra Ka Arth Hindi Me):-
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
ॐ गं नमः
गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा !
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजानन मंत्र का अर्थ (ganapatirvighnaraajo lambaatundo gajaanan Mantra Ka Arth Hindi Me):-
गणानां जीवजातानां य ईश: स गणेश: अर्थात् जो समस्त गणों तथा जीव-जाति के स्वामी हैं वही गणेश हैं। गणेश विगत 6 मनवंतर में अनेकों बार जगत कल्याण हेतु जन्म ले चुके हैं, किन्तु जिन भगवान गणेश का आजकल हम भजन-पूजन करते हैं, जो सभी के अंतर्मन में विराजते हैं, इन भगवान गणेश का जन्म सातवें वैवस्वत मनवंतर के मध्य श्वेतवाराह कल्प में भादौं माह की शुक्लपक्ष चतुर्थी तिथि सोमवार को स्वाति नक्षत्र की सिंह लग्न में नारायणास्त्र चक्रसुदर्शन मुहूर्त (अभिजित) में हुआ था। उस समय सभी शुभ ग्रह ने मिलकर इनकी कुंडली में पंचग्रही योग बनाए थे। बाकी पाप ग्रह अपने कारक भाव में बैठे थे। अगर आप हर रोज अपने नित्य कर्म से निवृत्त होकर भगवान गणेश के निम्न लिखित मंत्र का जाप करते हैं तो आपके समस्त दुखों तथा दोषों का निवारण हो जाएगा तथा हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजानन:। द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:॥ विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:। द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत॥ विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत क्वचित पंचभूत में जल तत्व के अधिपति गणेश हैं। पंचभूतों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश में पृथ्वी शिव, जल गणेश, तेज-अग्नि शक्ति, वायु सूर्य और आकाश विष्णु हैं।
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