खाटू श्याम जन्मदिन (Khatu Shyam Birthday Lyrics in Hindi) - Khatu Shyam Birthaday - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


खाटू श्याम जन्मदिन (Khatu Shyam Birthday Lyrics in Hindi) - 


हिन्दू पंचांग के अनुसार श्री खाटू श्याम जी की जयंती प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसी दिन देवउठनी एकादशी भी पड़ती है। इस दिन श्री खाटू श्याम जी की विधिवत पूजा के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के भोग भी अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्री खाटूश्याम जी भगवान कृष्ण के कलियुगी अवतार हैं। राजस्थान के सीकर में श्री खाटू श्याम की भव्य मंदिर स्थापित है। मान्यता है कि यहां भगवान के दर्शन मात्र से ही हर मनोकामना पूरी हो जाती है।


कौन थे श्री खाटू श्याम जी -

शास्त्रों के अनुसार श्री खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। वे पांडु के पुत्र भीम के पौत्र थे। श्री खाटू श्याम जी बहुत शक्तिशाली थे।


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पांडव अपनी जान बचाते हुए एक जंगल से दूसरे जंगल में घूम रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। बाद में हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। बाद में घटोत्कच का एक पुत्र हुआ जिसका नाम बर्बरीक रखा गया। बर्बरीक को बाद में खाटू श्याम के नाम से जाना जाने लगा।


क्यों प्रसिद्ध है खाटू श्याम बाबा की कहानी -

महाभारत के युद्ध के दौरान, बर्बरीक ने श्री कृष्ण से भाग लेने की अनुमति मांगी। लेकिन श्रीकृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे। ऐसे में श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए उनसे दान मांगा और उसमें सिर मांगा। बर्बरीक ने बिना देर किए उन्हें अपना सिर दान कर दिया।


बर्बरीक (खाटू श्याम) के महान बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम कहलाओगे। वरदान देने के बाद, उनके सिर को खाटू नगर (वर्तमान राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में दफनाया गया था, इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है।


ऐसा माना जाता है कि एक गाय उस स्थान पर आई थी और प्रतिदिन अपने आप उसके स्तनों से दूध बहा रही थी। बाद में जब उस जगह की खुदाई की गई तो वहां सिर दिखाई दिया, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण को सौंप दिया गया है। एक बार खाटू नगर के राजा को सपने में मंदिर बनवाने और शीश मंदिर में उसे सुशोभित करने की प्रेरणा मिली। तो उस स्थान पर मंदिर बनाया गया और शीश मंदिर में कार्तिक मास की एकादशी को सजाया गया। इसलिए हमेशा देवउठनी एकादशी के दिन श्री खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।



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