एक डोली चली एक अर्थी चली लिरिक्स (Ek doli chali ek arthi chali lyrics in Hindi) - Nirgun Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

एक डोली चली एक अर्थी चली लिरिक्स (Ek doli chali ek arthi chali lyrics in Hindi) - Nirgun Bhajan:-

एक डोली चली एक अर्थी चली लिरिक्स (Ek doli chali ek arthi chali lyrics in Hindi) - Nirgun Bhajan - Bhaktilok

एक डोली चली एक अर्थी चली लिरिक्स (Ek doli chali ek arthi chali lyrics in Hindi):- 


|| दोहा ||

याद रख सिकंदर के हौसले आली थे |

जब गया दुनिया से तो

दोनों हाथ खाली थे ||


एक डोली चली एक अर्थी चली,

डोली अर्थी से कुछ युँ कहने लगी,

रस्ता तूने मेरा क्यों ये खोटा किया ,

सामने से चली जा तूँ ओ दिल जली,


चार तुझमे लगे चार मुझमें लगे ,

फूल तुझ पर चढ़े फूल मुझ पर चढ़े,

फर्क इतना है तुझमे और मुझमे सखी,

तूँ विदा हो चली मैं अलविदा हो चली ,


चूड़ी तेरी हरी चूड़ी मेरी हरी,

मांग दोनों की सिंदूर से है भरी,

फर्क इतना है तुझमे और मुझमे सखी,

तूँ जहां में चली मैं जहां से चली ,


तुझे देखे पिया तेरे हँसते पिया ,

मुझे देखे पिया मेरे रोते पिया ,

फर्क इतना है तुझमे और मुझमे सखी,

तूँ पिया के चली मैं पिया से चली,


गौरे हाथो में मेहँदी जो तेरे लगी,

गौरे हाथो में मेहँदी वो मेरे लगी ,

फर्क इतना है तुझमे और मुझमे सखी,

तूँ घर वसाने चली मैं घर वसा के चली,


लकड़ी तुझमे लगी लकड़ी मुझमे लगी,

लकड़ी वो भी सजी लकड़ी ये भी सजी,

फर्क इतना है तुझमे और मुझमे सखी,

तूँ लकड़ी से चली मैं लकड़ी में जली,

तूँ विदा हो चली मैं अलविदा हो चली,

तूँ जहां में चली मैं जहां से चली ||


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