उठ जाग मुसाफिर भोर भई लिरिक्स (Uthta Jag Musafir Bhor Bhai Lyrics in Hindi ) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

उठ जाग मुसाफिर भोर भई लिरिक्स (Uthta Jag Musafir Bhor Bhai Lyrics in Hindi ) - 


उठ जाग मुसाफिर भोर भई

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है

जो जागत है सोई पावत है ॥


उठ नींद से अखियाँ खोल जरा

और अपने प्रभु में ध्यान लगा ।

यह प्रीत करन की रीत नहीं

प्रभु जागत है तू सोवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है

जो जगत है सोई पावत है ॥


जो कल करना सो आज कर ले

जो आज करे सो अब कर ले ।

जब चिड़िया ने चुग खेत लिया

फिर पछताए क्या होवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है

जो जगत है सोई पावत है ॥


नादान भुगत अपनी करनी

ऐ पापी पाप में चैन कहाँ ।

जब पाप की गठड़ी शीश धरी

अब शीश पकड़ क्यूँ रोवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है

जो जगत है सोई पावत है ॥



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