तिनका कबहुँ ना निन्दिये जो पाँवन तर होय दोहे का अर्थ(Tinaka Kabahu Na Nindiye Jo Pawan Tar Hoy Dohe Ka Arth in Hindi):-
तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
तिनका कबहुँ ना निन्दिये जो पाँवन तर होय दोहे का अर्थ(Tinaka Kabahu Na Nindiye Jo Pawan Tar Hoy Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है। यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है !
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