तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ दोहे का अर्थ(Tera Sangi Koi Nahi Sab Swarth Badhi Loi Dohe Ka Arth in Hindi):-
तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ ।
मन परतीति न उपजै, जीव बेसास न होइ ।
तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ दोहे का अर्थ(Tera Sangi Koi Nahi Sab Swarth Badhi Loi Dohe Ka Arth in Hindi):-
तेरा साथी कोई भी नहीं है। सब मनुष्य स्वार्थ में बंधे हुए हैं, जब तक इस बात की प्रतीति – भरोसा – मन में उत्पन्न नहीं होता तब तक आत्मा के प्रति विशवास जाग्रत नहीं होता। भावार्थात वास्तविकता का ज्ञान न होने से मनुष्य संसार में रमा रहता है जब संसार के सच को जान लेता है – इस स्वार्थमय सृष्टि को समझ लेता है – तब ही अंतरात्मा की ओर उन्मुख होता है – भीतर झांकता है !
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