तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ दोहे का अर्थ(Tera Sangi Koi Nahi Sab Swarth Badhi Loi Dohe Ka Arth in Hindi)

Deepak Kumar Bind

 

तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ दोहे का अर्थ(Tera Sangi Koi Nahi Sab Swarth Badhi Loi Dohe Ka Arth in Hindi):-


तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ ।

मन परतीति न उपजै, जीव बेसास न होइ ।

 

तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ दोहे का अर्थ(Tera Sangi Koi Nahi Sab Swarth Badhi Loi Dohe Ka Arth in Hindi)

तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ दोहे का अर्थ(Tera Sangi Koi Nahi Sab Swarth Badhi Loi Dohe Ka Arth in Hindi):-

तेरा साथी कोई भी नहीं है। सब मनुष्य स्वार्थ में बंधे हुए हैं, जब तक इस बात की प्रतीति – भरोसा – मन में उत्पन्न नहीं होता तब तक आत्मा के प्रति विशवास जाग्रत नहीं होता। भावार्थात वास्तविकता का ज्ञान न होने से मनुष्य संसार में रमा रहता है जब संसार के सच को जान लेता है – इस स्वार्थमय सृष्टि को समझ लेता है – तब ही अंतरात्मा की ओर उन्मुख होता है – भीतर झांकता है !




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