ते दिन गए अकारथ ही संगत भई न संग दोहे का अर्थ(Te Din Gaye Akarath Hi Sangat Bhai na Sang Dohe Ka Arth in Hindi):-
ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग ।प्रेम बिना पशु जीवन, भक्ति बिना भगवंत ।
ते दिन गए अकारथ ही संगत भई न संग दोहे का अर्थ(Te Din Gaye Akarath Hi Sangat Bhai na Sang Dohe Ka Arth in Hindi):-
कबीर दास जी कहते हैं कि जिसने कभी अच्छे लोगों की संगति नहीं की और न ही कोई अच्छा काम किया, उसका तो ज़िन्दगी का सारा गुजारा हुआ समय ही बेकार हो गया । जिसके मन में दूसरों के लिए प्रेम नहीं है, वह इंसान पशु के समान है और जिसके मन में सच्ची भक्ति नहीं है उसके ह्रदय में कभी अच्छाई या ईश्वर का वास नहीं होता ।
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