मूरख संग न कीजिए लोहा जल न तिराई दोहे का अर्थ(Murakh Sang Na Kijiye Loha Jal Na Tirai Dohe Ka Arth in Hindi):-
मूरख संग न कीजिए ,लोहा जल न तिराई।
कदली सीप भावनग मुख, एक बूँद तिहूँ भाई ।
मूरख संग न कीजिए लोहा जल न तिराई दोहे का अर्थ(Murakh Sang Na Kijiye Loha Jal Na Tirai Dohe Ka Arth in Hindi):-
मूर्ख का साथ मत करो।मूर्ख लोहे के सामान है जो जल में तैर नहीं पाता डूब जाता है । संगति का प्रभाव इतना पड़ता है कि आकाश से एक बूँद केले के पत्ते पर गिर कर कपूर, सीप के अन्दर गिर कर मोती और सांप के मुख में पड़कर विष बन जाती है।
If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks