कबीर चन्दन के निडै नींव भी चन्दन होइ दोहे का अर्थ(Kabir Chandan ke Nidai Niv Bhi Chandan Hoi Dohe Ka Arth in Hindi)

Deepak Kumar Bind


कबीर चन्दन के निडै नींव भी चन्दन होइ दोहे का अर्थ(Kabir Chandan ke Nidai Niv Bhi Chandan Hoi Dohe Ka Arth in Hindi):-


कबीर चन्दन के निडै नींव भी चन्दन होइ।

बूडा बंस बड़ाइता यों जिनी बूड़े कोइ ।

 

कबीर चन्दन के निडै नींव भी चन्दन होइ दोहे का अर्थ(Kabir Chandan ke Nidai Niv Bhi Chandan Hoi Dohe Ka Arth in Hindi)


कबीर चन्दन के निडै नींव भी चन्दन होइ दोहे का अर्थ(Kabir Chandan ke Nidai Niv Bhi Chandan Hoi Dohe Ka Arth in Hindi):-

कबीर कहते हैं कि यदि चंदन के वृक्ष के पास नीम  का वृक्ष हो तो वह भी कुछ सुवास ले लेता है – चंदन का कुछ प्रभाव पा लेता है । लेकिन बांस अपनी लम्बाई – बडेपन – बड़प्पन के कारण डूब जाता है। इस तरह तो किसी को भी नहीं डूबना चाहिए। संगति का अच्छा प्रभाव ग्रहण करना चाहिए – आपने गर्व में ही न रहना चाहिए ।




Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !