जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi)

Deepak Kumar Bind

 

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi):-


जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं ।
प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं ।

 

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi)

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi):-

 जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ। जब अहम समाप्त हुआ तभी प्रभु  मिले। जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ – तब अहम स्वत: नष्ट हो गया। ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ जब अहंकार गया। प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता – प्रेम की संकरी – पतली गली में एक ही समा सकता है – अहम् या परम ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है।


Post a Comment

0Comments

If you liked this post please do not forget to leave a comment. Thanks

Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !