जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi):-
जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं ।प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं ।
जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं दोहे का अर्थ(Jab Mai Tha Tab Hari Nahi Ab Hari Hai Mai Nahi Dohe Ka Arth in Hindi):-
जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ। जब अहम समाप्त हुआ तभी प्रभु मिले। जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ – तब अहम स्वत: नष्ट हो गया। ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ जब अहंकार गया। प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता – प्रेम की संकरी – पतली गली में एक ही समा सकता है – अहम् या परम ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है।
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