साईं अमृतवाणी (Shree Sai Amritwani Lyrics in Hindi) - सुख शांति हेतू सुनिए हर रोज़ Sai Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


साईं अमृतवाणी (Shree Sai Amritwani Lyrics in Hindi) - 


दिव्य तेज का मालिक साईं
सकल विश्व का पालक साईं
सूर्योदय सी छवि निराली
सांचा आनंद देने वाली

धर्मदीप धर्मात्मा साईं
परमपुरुष परमात्मा साईं
सत्य साईं से सद्गुण लीजो
विनय भाव से वंदन कीजो

दास भक्ति जिन्होंने है मांगी
भव से तर गए वो अपराधी
सर्वशक्तिमान है साईं
योगी दयानिधान है साईं

साईं है सबके संकट हरता
साईं ही घर घर मंगल करता
साईं का सुमिरन है वो धारा
भय से देता जो छुटकारा

साईं के द्वारे जो भी आते
सकल मनोरथ सिद्धि हो जाते
मंगलमूर्ति विघ्नविनाशक
शरणागत बलहीन के रक्षक

सी सुधा है मंगलदाई
साईं से प्रीति महा सुखदाई
साईं आश्रय देते सबको
साईं रूप में देखो रब को
साईं के द्वारे मांगो मनौती
आये निकट ना कभी पनौती
वैद्यों की जब हारे दवाई
जादू करती साईं की दुआएं
साईं तेरे भंडार भरेंगे
करुणा कर कृतार्थ करेंगे
जो भी अलक जगा जायेगा
सुख समृद्धि पा जायेगा
नम्रता बिन त्याग भावना
से हो पूरी मनोकामना
करुण प्रार्थना कीजो मन से
कोष भरेंगे सुख के धन से

शांति प्रेम सौहार्द मिलेगा
साईं सच्चा हमदर्द मिलेगा
कांटेदार चाहे हो पगडंडी
साईं सर्वदा तुमरे संगी

साईं के अद्भुत धाम पे
धुनी रमा दिन रात
किसी भी पथ पर तू कभी
खा नहीं सकता मात

पंचभूत की काया साईं
ब्रह्मज्ञान जगमाया साईं
महामानियों सी आभा वाला
दिव्य अलौकिक शोभा वाला

कमल के जैसा खिला मुखमंडल
साईं पुरषोत्तम सुख की मंजिल
आठों सिद्धियां शरण में जिसके
पदम निराला चरण में जिसके

साईं हरी है साईं नारायण
साईं की भक्ति एक रसायन
साईं है योगेश्वर बाबा
सिद्धिनाथ सिद्धेश्वर बाबा

साईं प्रेम का पावन चंदन
जहाँ भी महके टूटे बंधन
साईं गंगाजल सा निर्मल
जहाँ से लेते बल है दुर्बल

साईं भजन से आत्मा जागे
कष्ट मिटे हर संकट भागे
साईं चरण में झुकेगा मस्तक
खुशियाँ देती उस घर दस्तक

शुद्ध आत्मा शुद्ध विचार
साईं की महिमा अपरम्पार
जगत पिता जगदीश्वर साईं
ज्ञानकुंज ज्ञानेश्वर साईं

श्वास श्वास में साईं हैं जिनके
सिद्ध मनोरथ होते उनके
सी पे निर्भर होक देखो
साईं की धुन में खोकर देखो

भयनाशक आनंद मिलेगा
जीवन का रथ सहज चलेगा
हर एक बाधा टल जायेगी
रैन गमों की ढल जायेगी

मोक्षदायिनी साईं की पूजा
ऐसा दयालु और ना दूजा
जिस नैया का साईं खेवैया
उस पर आंच ना आये भैया

जिसका सारथी साईं जैसा
उस रथ को फिर खटका कैसा
संकट में न विचलित होना
दुःख संताप उसी में धोना

साईं के चरण सरोज की
मस्तक धर लो धुल
उनके अनुग्रह से बनता
हर एक काँटा फूल

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