बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे लिरिक्स (Baans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave Lyrics in Hindi) - Krishna Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे लिरिक्स (Baans Ki Basuriya Pe Ghano Itrave Lyrics in Hindi) - 


बाँस की बाँसुरिया पे 
घणों इतरावे

कोई सोना की जो होती
हीरा मोत्यां की जो होती 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे

जेल में जनम लेके घणों इतरावे 
कोई महालाँ में जो होतो
कोई अंगणां में जो होतो 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे

देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे 
कोई यशोदा के होतो
माँ यशोदा के जो होतो 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे

गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे 
कोई गुरुकुल में जो होतो
कोई विद्यालय जो होतो 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे

गुजरियाँ की छोरियाँ पे घणों इतरावे 
ब्राह्मण बाणिया की जो होती
ब्राह्मण बणियाँ की होती जो 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे

साँवली सुरतिया पे घणों इतरावे 
कोई ग़ौरो सो जो होतो
कोई सोणो सो जो होतो 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे

माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे
छप्पन भोग जो होतो
मावा मिश्री जो होतो 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे

बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे 
कोई सोना की जो होती
हीरा मोत्या की जो होती 
जाणें काई करतो काईं करतों
बाँस की बाँसुरिया पे घणों इतरावे



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