दुःख से मत घबराना पंछी ये जग दुःख का मेला है भजन लिरिक्स (Dukh Me Mat Ghabrana Panchi Ye Jag Dukh Ka Mela Hai Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

 

दुःख से मत घबराना पंछी ये जग दुःख का मेला है भजन लिरिक्स (Dukh Me Mat Ghabrana Panchi Ye Jag Dukh Ka Mela Hai Lyrics in Hindi) - 


दुःख से मत घबराना पंछी

ये जग दुःख का मेला है

चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर

उड़ना तुझे अकेला है ।।


नन्हे कोमल पंख ये तेरे

और गगन की ये दूरी

बैठ गया तो होगी कैसे

मन की अभिलाषा पूरी

उसका नाम अमर है जग में

जिसने संकट झेला है

चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर

उड़ना तुझे अकेला है ।।


चतुर शिकारी ने रखा है

जाल बिछा के पग-पग पर

फस मत जाना भूल से पगले

पछतायेगा जीवन भर

लोभ में दाने के मत पड़ना

बड़े समझ का खेला है

चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर

उड़ना तुझे अकेला है ।।


जब तक सूरज आसमान पर

चढ़ता चल तू चलता चल

घिर जाएगा अंधकार जब

बड़ा कठिन होगा पल-पल

किसे पता की उड़ जाने की

आ जाती कब बेला है

चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर

उड़ना तुझे अकेला है ।।


दुःख से मत घबराना पंछी

ये जग दुःख का मेला है

चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर

उड़ना तुझे अकेला है ।।


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