माँ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊ क्या है पिता लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

माँ की महिमा सब ही सुनाते मैं बतलाऊ क्या है पिता लिरिक्स 


माँ की महिमा सब ही सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता
रोटी कपड़ा और मकान
परिवार का सारा जहाँ है पिता
मां की महिमा सब हीं सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता...||

पिता से ही तो हर बच्चे के
होते हजारों सपने हैं
पिता है संग तो हर बाजार के
सारे खिलौने अपने हैं
बच्चों की हर आशा और
खुशियों का है इंतजार पिता
मां की महिमा सब हीं सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता...||

माँ की ममता छलक छलक कर
सबको ही दिख जाती है
प्यार पिता का होता है गूंगा
दुनिया समझ ना पाती है
कर सको तो महसूस करो
नहीं दिखता है ऐसा प्यार पिता
मां की महिमा सब हीं सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता...||

पिता से ही तो माँ को अपना
एक अलग परिवार मिला
पिता से ही तो माँ को माँ
कहलाने का अधिकार मिला
माँ की बिंदी और सुहाग
ममता का है आधार पिता
मां की महिमा सब हीं सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता...||

सबकी जरूरत सबकी खुशियाँ
सोचे वो बंधन है पिता
क्या होगा कब कैसे होगा
हर पल का चिंतन है पिता
‘अंकुश’ बच्चों की खातिर
अपने सुख भूले वो है पिता
मां की महिमा सब हीं सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता...||

माँ की महिमा सब ही सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता
रोटी कपड़ा और मकान
परिवार का सारा जहाँ है पिता
मां की महिमा सब हीं सुनाते
मैं बतलाऊं क्या है पिता...||

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