गायत्री मंत्र - Famous Powerful Gayatri Mantra 108 Times - ओम भूर भुवा स्वाहा - Om Bhur Bhuva Swaha

Deepak Kumar Bind


Famous Powerful Gayatri Mantra 108 Times ( गायत्री मंत्र ) - ओम भूर भुवा स्वाहा - Om Bhur Bhuva Swaha


'गायत्री' एक छन्द भी है जो ऋग्वेद के सात प्रसिद्ध छंदों में एक है। इन सात छंदों के नाम हैं- गायत्री, उष्णिक्, अनुष्टुप्, बृहती, विराट, त्रिष्टुप् और जगती। गायत्री छन्द में आठ-आठ अक्षरों के तीन चरण होते हैं। ऋग्वेद के मंत्रों में त्रिष्टुप् को छोड़कर सबसे अधिक संख्या गायत्री छंदों की है। गायत्री के तीन पद होते हैं (त्रिपदा वै गायत्री)। अतएव जब छंद या वाक के रूप में सृष्टि के प्रतीक की कल्पना की जाने लगी तब इस विश्व को त्रिपदा गायत्री का स्वरूप माना गया। जब गायत्री के रूप में जीवन की प्रतीकात्मक व्याख्या होने लगी तब गायत्री छंद की बढ़ती हुई महिता के अनुरूप विशेष मंत्र की रचना हुई, जो इस प्रकार है:


गायत्री मंत्र -ओम भूर भुवा स्वाहा - Gayatri Mantra - Om Bhur Bhuva Swaha  : 


ॐ भूर् भुवः सुवः ।

तत्सवितुर्वरेण्यं

भर्गो॑ देवस्यधीमहि ।

धियो यो नः प्रचोदयात् ॥



गायत्री मंत्र -ओम भूर भुवा स्वाहा के प्रत्येक शब्द की व्याख्या ( Gayatri Mantra ki Vyakhya) : 


गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं.....


ॐ = प्रणव

भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला

भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला

स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला

तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल

वरेण्यं = सबसे उत्तम

भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला

देवस्य = प्रभु

धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)

धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी,

प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)


गायत्री मंत्र -ओम भूर भुवा स्वाहा की हिन्दी में भावार्थ (Gayatri Mantra - Om Bhur Bhua Swaha ki Hindi me Arth): 


उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।


गायत्री मंत्र जाप के लाभ ( Gayatri Mantra Jap Ke Labh) : 


गायत्री मंत्र का नियमित रुप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती।

जप से कई प्रकार के लाभ होते हैं, व्यक्ति का तेज बढ़ता है और मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है। बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है।

गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं।

इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।


यह मंत्र सर्वप्रथम ऋग्वेद में उद्धृत हुआ है। इसके ऋषि विश्वामित्र हैं और देवता सविता हैं। वैसे तो यह मंत्र विश्वामित्र के इस सूक्त के १८ मंत्रों में केवल एक है, किंतु अर्थ की दृष्टि से इसकी महिमा का अनुभव आरंभ में ही ऋषियों ने कर लिया था और संपूर्ण ऋग्वेद के १० सहस्र मंत्रों में इस मंत्र के अर्थ की गंभीर व्यंजना सबसे अधिक की गई। इस मंत्र में २४ अक्षर हैं। उनमें आठ आठ अक्षरों के तीन चरण हैं। किंतु ब्राह्मण ग्रंथों में और कालांतर के समस्त साहित्य में इन अक्षरों से पहले तीन व्याहृतियाँ और उनसे पूर्व प्रणव या ओंकार को जोड़कर मंत्र का पूरा स्वरूप इस प्रकार स्थिर हुआ.


  1.  ॐ
  2.  भूर्भव: स्व:
  3. तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।


मंत्र के इस रूप को मनु ने सप्रणवा, सव्याहृतिका गायत्री कहा है और जप में इसी का विधान किया है।


Title - Famous Powerful Gayatri Mantra 108 Times ( गायत्री मंत्र ) - ओम भूर भुवा स्वाहा - Om Bhur Bhuva Swaha

Singer - Minakshi mazumdar

Lyricist: Traditional

MUSIC COMPOSERS - Gourab Shome


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