जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाये रे (Jeevan Hai Pani Ki Boond Kab Mit Jaye Re Lyrics in Hindi) - Rakesh Kala - Bhaktilok
जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे
होनी अनहोनी कब क्या घाट जाए रे
जितना भी कर जाओगे उतना ही फल पाओगे
करनी जो कर जाओगे वैसा ही फल पाओगे
नीम के तरु में नहीं आम दिखाए रे
जीवन है पानी की बूँद......
चाँद दिनों का जीवन है इसमें देखो सुख काम है
जनम सभी को मालूम है लेकिन मृत्यु से ग़ाफ़िल है
जाने कब तन से पंक्षी उड़ जाए रे
जीवन है पानी की बूँद......
किस को मने अपना है अपना भी तो सपना है
जिसके लिए माया जोड़ी क्या वो तेरा अपना है
तेरा हो बेटा तुझे आग लगाए रे
जीवन है पानी की बूँद......
गुरु जिस को छू लेते हैं वो कुंदन बन जाता है
तब तक सुलगता दावानल वो सावन बन जाता है
आतंक का लोहा अब पारस कर ले रे
जीवन है पानी की बूँद......
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