दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरीअखियां प्यासी रे लिरिक्स (Darshan Do Ghanshyam Mori ANkhiya Pyasi Re Lyrics ijn Hindi) - Narsi Bhagat Shyam Bhajan - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरीअखियां प्यासी रे लिरिक्स (Darshan Do Ghanshyam Mori ANkhiya Pyasi Re Lyrics ijn Hindi) - Narsi Bhagat Shyam Bhajan - Bhaktilok


दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरीअखियां प्यासी रे लिरिक्स (Darshan Do Ghanshyam Mori ANkhiya Pyasi Re Lyrics ijn Hindi) - Narsi Bhagat Shyam Bhajan - 


दर्शन दो घनश्यामनाथ मोरीअखियां प्यासी रे लिरिक्स (Darshan Do Ghanshyam Mori ANkhiya Pyasi Re Lyrics ijn Hindi) -


दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे |

मन मंदिर की जोत जगा दो घाट घाट वासी रे ||

मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी |

युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ||

द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले |

अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ||

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ |

आँख मिचौली छोड़ो अब तो मन के वासी रे ||

निबर्ल के बल धन निधर्न के तुम रखवाले भक्त जनों के |

तेरे भजन में सब सुख़ पाऊं मिटे उदासी रे ||

नाम जपे पर तुझे ना जाने उनको भी तू अपना माने |

तेरी दया का अंत नहीं है हे दुःख नाशी रे ||

आज फैसला तेरे द्वार पर मेरी जीत है तेरी हार पर |

हर जीत है तेरी मैं तो चरण उपासी रे ||

द्वार खडा कब से मतवाला मांगे तुम से हार तुम्हारी |

नरसी की ये बिनती सुनलो भक्त विलासी रे ||

लाज ना लुट जाए प्रभु तेरी नाथ करो ना दया में देरी |

तिन लोक छोड़ कर आओ गंगा निवासी रे ||


 

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