माता के दरबार ज्योति जल रही (Mata Ke Darbar Jyoti Jal Rahi Lyrics in Hindi) - Devi Bhajan DILRAJ KAUR SAVITA - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


माता के दरबार ज्योति जल रही (Mata Ke Darbar Jyoti Jal Rahi Lyrics in Hindi) - Devi Bhajan DILRAJ KAUR SAVITA - Bhaktilok


माता के दरबार ज्योति जल रही (Mata Ke Darbar Jyoti Jal Rahi Lyrics in Hindi) - Devi Bhajan DILRAJ KAUR SAVITA - Bhaktilok


( माता के दरबार ज्योति जल रही है लिरिक्स हिंदी ) -

माता के दरबार ज्योत जल रही है

माता के दरबार ज्योत जल रही है

सच्चा है दरबार शेरो वाली का

सच्चा है दरबार शेरो वाली का

प्यार का प्यासा जो डर पर आ जाए

प्यार का प्यासा जो डर पर आ जाए

मिल जाता है प्यार महरो वाली का

मिल जाता है प्यार महरो वाली का

दुख एक है चिज़ ऐसी जो कदम कदम पे आ जाए

दुख एक है चिज़ ऐसी जो कदम कदम पे आ जाए

सच्चा भक्त है वो ही जो दुखो से ना घरे

सच्चा भक्त है वो ही जो दुखो से ना घरे

बहकतो सूर्य भक्तो भक्तो सूर्य भक्तो

दुख तकलाइफ भक्ति तेरी परख रही

दुख तकलाइफ भक्ति तेरी परख रही

देख रहा मन तुझको ज्योति वाली का

देख रहा मन तुझको ज्योति वाली का

माता के दरबार ज्योत जल रही है

सच्चा है दरबार शेरो वाली का


पापी जग से चोरी तू पाप कमाया जाता है

पापी जग से चोरी तू पाप कमाया जाता है

देख के सच्चे भक्तों को तू मौज उदय जाता है

देख के सच्चे भक्तों को तू मौज उदय जाता है

पपी ओ पपी पपी ओ पपी

माता की ये आँखे तुझे देख रही

माता की ये आँखे तुझे देख रही

देना है मजबूरो वाली का

देना है मजबूरो वाली का

माता के दरबार ज्योत जल रही है

सच्चा है दरबार शेरो वाली का


 

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