श्री विष्णु अमृतवाणी (Shree Vishnu Amritvani Lyrics in Hindi) - Vishnu Amritvani - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind
श्री विष्णु अमृतवाणी (Shree Vishnu Amritvani Lyrics in Hindi) - Vishnu Amritvani - Bhaktilok

श्री विष्णु अमृतवाणी (Shree Vishnu Amritvani Lyrics in Hindi) - Vishnu Amritvani - Bhaktilok


श्री विष्णु अमृतवाणी (Shree Vishnu Amritvani Lyrics in Hindi) - Vishnu Amritvani - 

Song : श्री विष्णु अमृतवाणी (Shree Vishnu Amritvani Lyrics in Hindi)
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Sanjayraj Gaurinandan (SRG)
Lyrics: Shivpoojan Patwa

श्री विष्णु अमृतवाणी (Shree Vishnu Amritvani Lyrics in Hindi) - 

श्री विष्णु जगतपति जग के पालनहार
आपके श्री चरणो में नमन है सौ सौ बार 
पार ब्रह्म परमात्मा परमपिता तेरो नाम
स्वर्ग से पावन है प्रभु आपका बैकुंठ धाम 
शंख चक्र गदा धार ते और पदम तोरे हाथ 
दया के आप निधान हो नाथों के हो नाथ 
कल्पतरु के समान है आपकी कृपा नाम 
धन वैभव यश कृति देते दीनानाथ
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2
सच्चिदानंद आनंदकंद श्री विष्णु भगवान
बालक हम नादान हैं दूर करो अज्ञान
रूप चतुर्भुज आपका पावन परम सुहान
चरण शरण में आए जो भव से वो तर जाए
लक्ष्मी रमणा आप हो श्री नारायण आप
सब भक्तों के काट ते पाप ताप संताप
चिंतामणि बनके प्रभु सगरी चिंता मिटाए
श्री नारायण भोले जो उसको शरण लगाएं
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2

जब जब धरा पे पापों का बढ़ने लगा था भार
धरा के भार को हरने को ले लिए थे अवतार
दस अवतारों की कथा पावन परम महान
जिस ने सुनी भव तर गया जाए बैकुंठ धाम
श्री विष्णु के चरणों का भक्तो ध्यान लगाओ
दस अवतारों की कथा तुमको रहा सुनाएं
अवतारों की है कथा कहते वेद पुराण
भक्तो ध्यान लगाइए कर लीजिए गुणगान
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2

नमन है सौ सौ बार
प्रलय से बचाने धरती को धरे मत्स्य अवतार
मनु नाव में बैठकर जो ही सागर आए
आई प्रलय मनू धरती को मत्स्य अवतार बचाए
कच्छप कहो या कूर्म कहो दूजा है अवतार
अपनी पीठ पे धारा था तुमने शीला का भार
सागर मंथन हो रहा शीला को कौन उठाए
कुर्मा रूप अवतार में श्री विष्णु जी आए
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2

 तीजा नारायण ने धरा बर्रा का था अवतार
हिरण ने राक्षस से दैत्य का तुमने किया संघार
हिरण राकक्ष की कैद से धरती को छुड़वाए
दांतो मध्य में धार के लेता ताल से आए
नरसिंह रूप तो आपका चौथा है अवतार
हिरण्यकश्यप दैत्य का तुमने किया संघार
अपने भक्त प्रहलाद की तुम ने जान बचाई
गोदी बैठ प्रह्लाद ने नारायण गुण गाए
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2

पंचम रूप में आपने वामन लिया अवतार
बली नामक दैत्य को भव से लगाया पार
दानव बली से आपने भूमि तीन पग मांग
दो पग में नापी सृष्टि पीजी रखूं कहां तान
बलि ने चरणों में आपके दे दिया शीश नवाए
उसके शीश पे आपने दीया था पग धाराएं
बलि ने हाथ उठाई के करी थी जय जय कार
बली को अमर बना दिया महिमा अपरंपार
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2

 परशुराम तो आपका छठा प्रभु अवतार
ब्राह्मण होकर भी प्रभु फरसा हाथ रहे धार
तीन बार धरती करी शक्तियों से विलीन
जय जय कार लगा रहे सभी दीन और हीन
त्रेता युग में आपने धरा राम अवतार
पापी रावण का किया आपने ही संघार
मर्यादा पुरूषोत्तमा बनते राह दिखाएं
मर्यादा क्या होती है सृष्टि को दिया बताएं
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2

 द्वापर युग में आपने धरा कृष्ण अवतार
पापी कंस को मार के हरा धरती का भार
महाभारत के महानायक गीता ज्ञान पटाए
भेद आत्मा के सभी सृष्टि को बतलाए
बौद्ध के अवतार में दिया शांति संदेश
अहिंसा परम यह धर्म है आपका है आदेश
मुक्ति फल जो पाना है बुध की शरण में जा
बुद्धम शरणम गच्छामि सभी भक्तों यह गाय
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2


दसवे रूप में कल्कि का धरोगे तुम अवतार
पीले घोड़े आओगे होकर तुम असवार
कलयुग का मिटा दोगे पाप ताप संताप
आपकी राह गुहारते कब आओगे आप 
भार प्रभु इस कलयुग का अब तो सहा नहीं जाए 
तुम बिन है कल्कि प्रभु हमको कौन बचाए 
संबल नगरी आपका पावन परम स्थान 
इसी जगह पर जन्मेंगे श्री कल्की भगवान 
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2


 दस अवतारों की कथा पावन परम सुनाएं 
नारायण हरि नाम की मन में हलक जगाए 
जैसे धन्ना जाट के शालिग्राम बनाए 
हम भी शरण है आपकी प्रभुवर पार लगाएं, 
जैसे मोहिनी रूप में लीला परम दिखाएं 
वैसे ही प्रभु भक्तों को अपनी शरण लगाएं 
चरण धूलि से आपकी चंदन तिलक लगाए 
हाथ जोड़ विनती करी प्रभु जी रहना सहाय
कोरस:- पावन तेरो नाम श्री विष्णु भगवान -2


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