नमो नमो दुर्गे सुख करनी (Namo Namo Durge Sukh Karni Lyrics in Hindi) - Durga Chalisa - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

दुर्गा चालीसा के लिरिक्स हिंदी (Namo Namo Durge Sukh Karni Lyrics in Hindi) -


नमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी
तिहूँ लोक फैली उजियारी ।

शशि ललाट मुख महाविशाला
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ।
रूप मातु को अधिक सुहावे
दरश करत जन अति सुख पावे ।


तुम संसार शक्ति लै कीना
पालन हेतु अन्न धन दीना ।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ।

प्रलयकाल सब नाशन हारी
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ।

रूप सरस्वती को तुम धारा
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा
परगट भई फाड़कर खम्बा ।

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं
श्री नारायण अंग समाहीं ।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा
दयासिन्धु दीजै मन आसा ।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी
महिमा अमित न जात बखानी ।


मातंगी अरु धूमावति माता
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।
श्री भैरव तारा जग तारिणी
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।

केहरि वाहन सोह भवानी
लांगुर वीर चलत अगवानी ।
कर में खप्पर खड्ग विराजै
जाको देख काल डर भाजै ।

सोहै अस्त्र और त्रिशूला
जाते उठत शत्रु हिय शूला ।
नगरकोट में तुम्हीं विराजत
तिहुँलोक में डंका बाजत ।

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे
रक्तबीज शंखन संहारे ।
महिषासुर नृप अति अभिमानी
जेहि अघ भार मही अकुलानी ।

रूप कराल कालिका धारा
सेन सहित तुम तिहि संहारा ।
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब
भई सहाय मातु तुम तब तब ।

अमरपुरी अरु बासव लोका
तब महिमा सब रहें अशोका ।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ।


प्रेम भक्ति से जो यश गावें
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ।
शंकर आचारज तप कीनो
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ।
शक्ति रूप का मरम न पायो
शक्ति गई तब मन पछितायो ।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी
जय जय जय जगदम्ब भवानी ।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ।

मोको मातु कष्ट अति घेरो
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ।
आशा तृष्णा निपट सतावें
मोह मदादिक सब बिनशावें ।

शत्रु नाश कीजै महारानी
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ।
करो कृपा हे मातु दयाला
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ।


जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ।
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै
सब सुख भोग परमपद पावै ।

देवीदास शरण निज जानी
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ।

।। दोहा ।।
शरणागत रक्षा करे
भक्त रहे नि:शंक
मैं आया तेरी शरण में
मातु लिजिये अंक ।

 

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