शंकर तेरी जटा से बहती है गंगा धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Ganga Dhara Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


 शंकर तेरी जटा से बहती है गंगा धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Ganga Dhara Lyrics in Hindi) - Bhaktilok


 शंकर तेरी जटा से बहती है गंगा धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Ganga Dhara Lyrics in Hindi) - 


 शंकर तेरी जटा से बहती है गंगा धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Ganga Dhara Lyrics in Hindi) - 


शंकर तेरी जटा से

बहती है गंग धारा

काली घटा के अंदर

जु दामिनी उजाला

शंकर तेरी जटा से

बहती है गंग धारा ॥


गल में मुंड माला की साजे

शशि भाल में गंग विराजे

डम डम डमरू बाजे

कर में त्रिशूल धारा

शंकर तेरी जटा से

बहती है गंग धारा ॥


भृग में तीन है तेज विसारे

कटीबंद में नाग सवारे

कहलाते कैलाश पति ये

करते जहाँ विसारा

शंकर तेरी जटा से

बहती है गंग धारा ॥


शिव के नाम को जो उच्चारे

सबके पाप दोष दुःख हारे

सारी श्रष्टि के दाता ये

भव से पार उतारे

शंकर तेरी जटा से

बहती है गंग धारा ॥


शंकर तेरी जटा से

बहती है गंग धारा

काली घटा के अंदर

जु दामिनी उजाला

शंकर तेरी जटा से

बहती है गंग धारा ॥



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