मंगलवार परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi ) - Vishnu Chalisa Hanuman Chalisa - BHaktilok
परिवर्तिनी एकादशी कथा (Parivartini Ekadashi Katha):
परिवर्तिनी एकादशी को जलझूलनी एकादशी, पद्म एकादशी भी कहा जाता है. इस एकादशी के व्रत की कथा स्वंय भगवान कृष्ण ने युदिष्ठिर को बताई थी. श्रीकृष्ण ने कहा था कि इस कथा को मात्र पढ़ने से व्यक्ति के पाप क्षणभर में नष्ट हो जाते हैं. कथा के अनुसार त्रेतायुग युग में दैत्यराज बलि भगवान विष्णु का परम भक्त था. इंद्र से बैर के कारण राजा बलि ने इंद्रलोक में आक्रमण कर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था. सभी देवी-देवता उसके अत्याचार से डरे हुए थे.
वामन देव ने मांगी बलि से तीन पग भूमि
इंद्र समेत सभी देवताओं ने राजा बलि के भय से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु से मदद की गुहार लगाई. भगवान विष्णु ने देवताओं को बलि के डर से छुटकारा दिलाने का आश्वासन देते हुए वामन अवतार लिया और फिर दैत्यराज बलि के पास पहुंच गए. यहां उन्होंने बलि से तीन पग भूमि दान में मांग ली. बलि ने वामन देव को तीन पग भूमि देने का वचन दे दिया.
बलि की भक्ति से प्रसन्न हुए श्रीहरि विष्णु
वामन देव ने अपना विकारल रूप धारण कर एक पग स्वर्ग नाप लिया, दूसरे से धरती, तीसरे कदम के लिए जब कोई जगह नहीं बची तो राजा बलि ने अपना सिर झुका दिया और बोले की तीसरा कदम यहां रख दीजिए. वामन देव राजा बलि की भक्ति और वचनबद्धता से बहुत प्रसन्न हुए. भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन देव ने फलस्वरूप राजा बलि को पाताल लोक दे दिया. वामन देव ने जैसे ही तीसरा पग बलि के सिर पर रखा वो पाताल लोक चला गया.
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