आत्मा रामा रग रग में राम (Atma Rama Anand Ramana Lyrics in Hindi) - agam agarwal Shri Ram Mantra Aathma Rama -Bhaktilok

Deepak Kumar Bind


 ( आत्मा रामा रग रग में राम Lyrics in Hindi ) -


सुबह से शाम सर पे बोझ कितना काम है हां

सुबह से शाम न ही रुकना न आराम है हां

नसों में रक्त सर पे भूत दिल में भावना हो 

की सारे जगत से एक ऊंचा राम नाम है हां


समर्पणम हो दिल में काज सारे वो सवारें

दुखो के सिंधु संग जीव सारे वो ही तारें

क्रोध काम लोभ त्याग के तू मेरे पास आ

 तुझे बताऊं अपना परम लक्ष्य है ही क्या रॆ


वलीप्रमार्थना सुबह से शाम सर पे बोझ कितना काम है हां

सुबह से शाम न ही रुकना न आराम है हां

नसों में रक्त सर पे भूत दिल में भावना हो 

की सारे जगत से एक ऊंचा राम नाम है हां


समर्पणम हो दिल में काज सारे वो सवारें

दुखो के सिंधु संग जीव सारे वो ही तारें

क्रोध काम लोभ त्याग के तू मेरे पास आ

 तुझे बताऊं अपना परम लक्ष्य है ही क्या रॆ


वलीप्रमार्थना जो विश्वामित्रप्रिय हैं 

जो सर्वदेवस्तुता देवी-देवता को प्रिय हैं

महोदरा वही प्रमाण है उदारता के

दिव्य वेशभूषा जिनके दिव्य संक्रिय हैं


श्यामंग जिनके मुख कमल समान हैं हां

अनंत लोक में अनंत जिनके नाम हैं हां

परासमी प्रजापति पराक्षय तेज जिनका 

सर्वतीर्थमाया सूर मेरे श्री राम हैं हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


भावभाया हरना वंडित चरना

भावभाया हरना वंडित चरना 


रघुकुल भूषण राजीव लोचन

रघुकुल भूषण राजीव लोचन


पीले वस्त्र और मुकुट है धारी सर पे उनके 

कभी भी सूखा हो तो बरसे वो ही वर्षा बनके

अभी भी रूप देखू आंखो में से आंसू आते आते 

भक्ति की ही भक्ति भक्त की शकल से झलके 


शब्द कम पड़ेंगे क्रोध भी सताएगा हां

फिर भी लिखूंगा भगवान जो लिखवाएगा हां

कौन है भक्त हां आवाज़ दो आवाज़ दो

जो गाना सुन के हरे रामा हरे रामा गाएगा हां


सत्यविक्रमा जो सर्वशक्तिशाली हैं

जो सत्यवाचे आदिपुरुषा जो विनाशकाले हैं

जितावराशयॆ समुंद्र के विजयता हैं 

जो सूर्यपुत्र वीर की भी रक्षा करने वाले हैं


हनुमान जैसी भक्ति और भरत सा त्याग हो हां

बोली हो शुद्ध जैसे गंगा का प्रयाग हो हां

देखें तो साकेत धाम जाके के ही सपने 

बस हृदय में राम जी को पाने की आग हो हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


आदि नारायण अनंत शयना

आदि नारायण अनंत शयना


सचिदानंद सत्यनारायण

सचिदानंद सत्यनारायण 


कमल समान पद कमल समान हस्त हैं

कमल समान मुख कमल से भी कंठस्थ हैं

कमल की भाती कोमल पर कमल से भिन्न

क्योंकि वज्र से भी अधिक शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र हैं


जो सर्वव्यापी दास के वो अन्नदाता हैं

जो क्षमा के सागर दयावान जो विधाता हैं

पराक्रमी वेदात्मा महारथी के साथ लक्ष्मीस्वरूपा सत्य सीता माता हैं


प्रभु के विग्रह सामने और मुख पे नाम हो हां

आंखो में आंसू सर पे हाथ और कुछ ना ध्यान हो हां

भक्त संग माला हाथ में और सेवा की अपेक्षा लेके 

सुनु राम जी के गुणगान को हां


अयोध्या धाम प्राणनाथ मैं ही प्राण हों हां

अधर्मियों का समाधान राम बाण हो हां

मंदिरों में प्रार्थनाओं का समर्पण 

और भूमि-भीतर राम-राज्य होने का प्रमाण हो हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


आदि नारायण अनंत शयना

आदि नारायण अनंत शयना


सच्चिदानंद सत्यनारायण

सच्चिदानंद सत्यनारायण 


आत्म रामा आनंद रमना:

आत्म रामा आनंद रमना:


अच्युत केशव हरी नारायण

अच्युत केशव हरी नारायणसूर मेरे श्री राम हैं हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


भावभाया हरना वंडित चरना

भावभाया हरना वंडित चरना 


रघुकुल भूषण राजीव लोचन

रघुकुल भूषण राजीव लोचन


पीले वस्त्र और मुकुट है धारी सर पे उनके 

कभी भी सूखा हो तो बरसे वो ही वर्षा बनके

अभी भी रूप देखू आंखो में से आंसू आते आते 

भक्ति की ही भक्ति भक्त की शकल से झलके 


शब्द कम पड़ेंगे क्रोध भी सताएगा हां

फिर भी लिखूंगा भगवान जो लिखवाएगा हां

कौन है भक्त हां आवाज़ दो आवाज़ दो

जो गाना सुन के हरे रामा हरे रामा गाएगा हां


सत्यविक्रमा जो सर्वशक्तिशाली हैं

जो सत्यवाचे आदिपुरुषा जो विनाशकाले हैं

जितावराशयॆ समुंद्र के विजयता हैं 

जो सूर्यपुत्र वीर की भी रक्षा करने वाले हैं


हनुमान जैसी भक्ति और भरत सा त्याग हो हां

बोली हो शुद्ध जैसे गंगा का प्रयाग हो हां

देखें तो साकेत धाम जाके के ही सपने 

बस हृदय में राम जी को पाने की आग हो हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


आदि नारायण अनंत शयना

आदि नारायण अनंत शयना


सचिदानंद सत्यनारायण

सचिदानंद सत्यनारायण 


कमल समान पद कमल समान हस्त हैं

कमल समान मुख कमल से भी कंठस्थ हैं

कमल की भाती कोमल पर कमल से भिन्न

क्योंकि वज्र से भी अधिक शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र हैं


जो सर्वव्यापी दास के वो अन्नदाता हैं

जो क्षमा के सागर दयावान जो विधाता हैं

पराक्रमी वेदात्मा महारथी के साथ लक्ष्मीस्वरूपा सत्य सीता माता हैं


प्रभु के विग्रह सामने और मुख पे नाम हो हां

आंखो में आंसू सर पे हाथ और कुछ ना ध्यान हो हां

भक्त संग माला हाथ में और सेवा की अपेक्षा लेके 

सुनु राम जी के गुणगान को हां


अयोध्या धाम प्राणनाथ मैं ही प्राण हों हां

अधर्मियों का समाधान राम बाण हो हां

मंदिरों में प्रार्थनाओं का समर्पण 

और भूमि-भीतर राम-राज्य होने का प्रमाण हो हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


आदि नारायण अनंत शयना

आदि नारायण अनंत शयना


सच्चिदानंद सत्यनारायण

सच्चिदानंद सत्यनारायण 


आत्म रामा आनंद रमना:

आत्म रामा आनंद रमना:


अच्युत केशव हरी नारायण

अच्युत केशव हरी नारायणसुबह से शाम सर पे बोझ कितना काम है हां

सुबह से शाम न ही रुकना न आराम है हां

नसों में रक्त सर पे भूत दिल में भावना हो 

की सारे जगत से एक ऊंचा राम नाम है हां


समर्पणम हो दिल में काज सारे वो सवारें

दुखो के सिंधु संग जीव सारे वो ही तारें

क्रोध काम लोभ त्याग के तू मेरे पास आ

 तुझे बताऊं अपना परम लक्ष्य है ही क्या रॆ


वलीप्रमार्थना जो विश्वामित्रप्रिय हैं 

जो सर्वदेवस्तुता देवी-देवता को प्रिय हैं

महोदरा वही प्रमाण है उदारता के

दिव्य वेशभूषा जिनके दिव्य संक्रिय हैं


श्यामंग जिनके मुख कमल समान हैं हां

अनंत लोक में अनंत जिनके नाम हैं हां

परासमी प्रजापति पराक्षय तेज जिनका 

सर्वतीर्थमाया सूर मेरे श्री राम हैं हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


भावभाया हरना वंडित चरना

भावभाया हरना वंडित चरना 


रघुकुल भूषण राजीव लोचन

रघुकुल भूषण राजीव लोचन


पीले वस्त्र और मुकुट है धारी सर पे उनके 

कभी भी सूखा हो तो बरसे वो ही वर्षा बनके

अभी भी रूप देखू आंखो में से आंसू आते आते 

भक्ति की ही भक्ति भक्त की शकल से झलके 


शब्द कम पड़ेंगे क्रोध भी सताएगा हां

फिर भी लिखूंगा भगवान जो लिखवाएगा हां

कौन है भक्त हां आवाज़ दो आवाज़ दो

जो गाना सुन के हरे रामा हरे रामा गाएगा हां


सत्यविक्रमा जो सर्वशक्तिशाली हैं

जो सत्यवाचे आदिपुरुषा जो विनाशकाले हैं

जितावराशयॆ समुंद्र के विजयता हैं 

जो सूर्यपुत्र वीर की भी रक्षा करने वाले हैं


हनुमान जैसी भक्ति और भरत सा त्याग हो हां

बोली हो शुद्ध जैसे गंगा का प्रयाग हो हां

देखें तो साकेत धाम जाके के ही सपने 

बस हृदय में राम जी को पाने की आग हो हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


आदि नारायण अनंत शयना

आदि नारायण अनंत शयना


सचिदानंद सत्यनारायण

सचिदानंद सत्यनारायण 


कमल समान पद कमल समान हस्त हैं

कमल समान मुख कमल से भी कंठस्थ हैं

कमल की भाती कोमल पर कमल से भिन्न

क्योंकि वज्र से भी अधिक शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र हैं


जो सर्वव्यापी दास के वो अन्नदाता हैं

जो क्षमा के सागर दयावान जो विधाता हैं

पराक्रमी वेदात्मा महारथी के साथ लक्ष्मीस्वरूपा सत्य सीता माता हैं


प्रभु के विग्रह सामने और मुख पे नाम हो हां

आंखो में आंसू सर पे हाथ और कुछ ना ध्यान हो हां

भक्त संग माला हाथ में और सेवा की अपेक्षा लेके 

सुनु राम जी के गुणगान को हां


अयोध्या धाम प्राणनाथ मैं ही प्राण हों हां

अधर्मियों का समाधान राम बाण हो हां

मंदिरों में प्रार्थनाओं का समर्पण 

और भूमि-भीतर राम-राज्य होने का प्रमाण हो हां


आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण

आत्म रामा आनंद रमना: अच्युत केशव हरी नारायण


आदि नारायण अनंत शयना

आदि नारायण अनंत शयना


सच्चिदानंद सत्यनारायण

सच्चिदानंद सत्यनारायण 


आत्म रामा आनंद रमना:

आत्म रामा आनंद रमना:


अच्युत केशव हरी नारायण

|| अच्युत केशव हरी नारायण ||

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