चालीसा : श्री राणी सती दादी (Shri Rani Sati Dadi Ji Chalisa Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

चालीसा : श्री राणी सती दादी (Shri Rani Sati Dadi Ji Chalisa Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

चालीसा : श्री राणी सती दादी (Shri Rani Sati Dadi Ji Chalisa Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

चालीसा : श्री राणी सती दादी (Shri Rani Sati Dadi Ji Chalisa Lyrics in Hindi) -  

॥ दोहा ॥


श्री गुरु पद पंकज नमन,

दुषित भाव सुधार,

राणी सती सू विमल यश,

बरणौ मति अनुसार,

काम क्रोध मद लोभ मै,

भरम रह्यो संसार,

शरण गहि करूणामई,

सुख सम्पति संसार॥


॥ चौपाई ॥


नमो नमो श्री सती भवानी।

जग विख्यात सभी मन मानी ॥


नमो नमो संकट कू हरनी।

मनवांछित पूरण सब करनी ॥


नमो नमो जय जय जगदंबा।

भक्तन काज न होय विलंबा ॥


नमो नमो जय जय जगतारिणी।

सेवक जन के काज सुधारिणी ॥4


दिव्य रूप सिर चूनर सोहे ।

जगमगात कुन्डल मन मोहे ॥


मांग सिंदूर सुकाजर टीकी ।

गजमुक्ता नथ सुंदर नीकी ॥


गल वैजंती माल विराजे ।

सोलहूं साज बदन पे साजे ॥


धन्य भाग गुरसामलजी को ।

महम डोकवा जन्म सती को ॥8


तनधनदास पति वर पाये ।

आनंद मंगल होत सवाये ॥


जालीराम पुत्र वधु होके ।

वंश पवित्र किया कुल दोके ॥


पति देव रण मॉय जुझारे ।

सति रूप हो शत्रु संहारे ॥


पति संग ले सद् गती पाई ।

सुर मन हर्ष सुमन बरसाई ॥12


धन्य भाग उस राणा जी को ।

सुफल हुवा कर दरस सती का ॥


विक्रम तेरह सौ बावन कूं ।

मंगसिर बदी नौमी मंगल कूं ॥


नगर झून्झूनू प्रगटी माता ।

जग विख्यात सुमंगल दाता ॥


दूर देश के यात्री आवै ।

धुप दिप नैवैध्य चढावे ॥16


उछाङ उछाङते है आनंद से ।

पूजा तन मन धन श्रीफल से ॥


जात जङूला रात जगावे ।

बांसल गोत्री सभी मनावे ॥


पूजन पाठ पठन द्विज करते ।

वेद ध्वनि मुख से उच्चरते ॥


नाना भाँति भाँति पकवाना ।

विप्र जनो को न्यूत जिमाना ॥20


श्रद्धा भक्ति सहित हरसाते ।

सेवक मनवांछित फल पाते ॥


जय जय कार करे नर नारी ।

श्री राणी सतीजी की बलिहारी ॥


द्वार कोट नित नौबत बाजे ।

होत सिंगार साज अति साजे ॥


रत्न सिंघासन झलके नीको ।

पलपल छिनछिन ध्यान सती को ॥24


भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला ।

भरता मेला रंग रंगीला ॥


भक्त सूजन की सकल भीङ है ।

दरशन के हित नही छीङ है ॥


अटल भुवन मे ज्योति तिहारी ।

तेज पूंज जग मग उजियारी ॥


आदि शक्ति मे मिली ज्योति है ।

देश देश मे भवन भौति है ॥28


नाना विधी से पूजा करते ।

निश दिन ध्यान तिहारो धरते ॥


कष्ट निवारिणी दुख: नासिनी ।

करूणामयी झुन्झुनू वासिनी ॥


प्रथम सती नारायणी नामा ।

द्वादश और हुई इस धामा ॥


तिहूं लोक मे कीरति छाई ।

राणी सतीजी की फिरी दुहाई ॥32


सुबह शाम आरती उतारे ।

नौबत घंटा ध्वनि टंकारे ॥


राग छत्तीसों बाजा बाजे ।

तेरहु मंड सुन्दर अति साजे ॥


त्राहि त्राहि मै शरण आपकी ।

पुरी मन की आस दास की ॥


मुझको एक भरोसो तेरो ।

आन सुधारो मैया कारज मेरो ॥36


पूजा जप तप नेम न जानू ।

निर्मल महिमा नित्य बखानू ॥


भक्तन की आपत्ति हर लिनी ।

पुत्र पौत्र सम्पत्ति वर दीनी ॥ 40


पढे चालीसा जो शतबारा ।

होय सिद्ध मन माहि विचारा ॥


टिबरिया ली शरण तिहारी।

क्षमा करो सब चूक हमारी ॥


॥ दोहा ॥


दुख आपद विपदा हरण,

जन जीवन आधार ।

बिगङी बात सुधारियो,

सब अपराध बिसार ॥

॥ मात श्री राणी सतीजी की जय 



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