शीश गंग अर्धंग पार्वती: भजन (Sheesh Gang Ardhang Parvati Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

शीश गंग अर्धंग पार्वती: भजन (Sheesh Gang Ardhang Parvati Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

शीश गंग अर्धंग पार्वती: भजन (Sheesh Gang Ardhang Parvati Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

शीश गंग अर्धंग पार्वती: भजन (Sheesh Gang Ardhang Parvati Lyrics in Hindi) - 


शीश गंग अर्धंग पार्वती

सदा विराजत कैलासी ।

नंदी भृंगी नृत्य करत हैं

धरत ध्यान सुर सुखरासी ॥

शीतल मन्द सुगन्ध पवन

बह बैठे हैं शिव अविनाशी ।

करत गान-गन्धर्व सप्त स्वर

राग रागिनी मधुरासी ॥


यक्ष-रक्ष-भैरव जहँ डोलत

बोलत हैं वनके वासी ।

कोयल शब्द सुनावत सुन्दर

भ्रमर करत हैं गुंजा-सी ॥


कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु

लाग रहे हैं लक्षासी ।

कामधेनु कोटिन जहँ डोलत

करत दुग्ध की वर्षा-सी ॥


सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित

चन्द्रकान्त सम हिमराशी ।

नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित

सेवत सदा प्रकृति दासी ॥


ऋषि मुनि देव दनुज नित सेवत

गान करत श्रुति गुणराशी ।

ब्रह्मा विष्णु निहारत निसिदिन

कछु शिव हमकूँ फरमासी ॥


ऋद्धि-सिद्धि के दाता शंकर

नित सत् चित् आनन्दराशी ।

जिनके सुमिरत ही कट जाती

कठिन काल यमकी फांसी ॥


त्रिशूलधरजी का नाम निरन्तर

प्रेम सहित जो नर गासी ।

दूर होय विपदा उस नर की

जन्म-जन्म शिवपद पासी ॥


कैलासी काशी के वासी

विनाशी मेरी सुध लीजो ।

सेवक जान सदा चरनन को

अपनो जान कृपा कीजो ॥


तुम तो प्रभुजी सदा दयामय

अवगुण मेरे सब ढकियो ।

सब अपराध क्षमाकर शंकर

किंकर की विनती सुनियो ॥


शीश गंग अर्धंग पार्वती

सदा विराजत कैलासी ।

नंदी भृंगी नृत्य करत हैं

धरत ध्यान सुर सुखरासी ॥



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