पुष्पांजलि मंत्र- ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त (Pushpanjali Mantra Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

Deepak Kumar Bind

पुष्पांजलि मंत्र- ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त (Pushpanjali Mantra Lyrics in Hindi) - Bhaktilok

मंत्र पुष्पांजलि - ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त (Mantra Pushpanjali Lyrics in Hindi) -  Bhaktilok

मंत्र पुष्पांजलि - ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त (Mantra Pushpanjali Lyrics in Hindi) -  


#धार्मिक अनुष्ठानों अर्थात #हवन, पूजन, आरती, #ग्रहप्रवेश, विवाह कर्म या अन्य पूजन से संबंधित कार्यों में देव शक्तियों को मंत्र #पुष्पांजलि अर्पित की जाती है, मंत्र पुष्पांजलि के बाद ही #धार्मिक पूजा के अनुष्ठान पूर्ण होने की मान्यता है।


पुष्पांजलि प्रथम मंत्र :

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।

ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥ 

पुष्पांजलि प्रथम मंत्र हिन्दी भावार्थ - 

👉 देवों ने यज्ञ के द्वारा यज्ञरुप प्रजापती का पूजन किया। यज्ञ और तत्सम उपासना के वे प्रारंभिक धर्मविधि थे। जहां पहले देवता निवास करते थे (स्वर्गलोक में) वह स्थान यज्ञाचरण द्वारा प्राप्त करके साधक महानता (गौरव) प्राप्त करते हैं।



पुष्पांजलि द्वितीय मंत्र : - 

ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।

नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।

स मस कामान् काम कामाय मह्यं।

कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।

महाराजाय नम: ।


पुष्पांजलि द्वितीय मंत्र हिन्दी भावार्थ - 

👉 हमारे लिए सब कुछ अनुकुल करने वाले राजाधिराज वैश्रवण कुबेर को हम वंदन करते हैं। वो कामनेश्वर कुबेर मुझ कामनार्थी की सारी कामनाओं को पूरा करें।


पुष्पांजलि तृतीय मंत्र : - 


ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं

वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।

समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।

पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकरा‌ळ इति ॥

 

पुष्पांजलि तृतीय मंत्र हिन्दी भावार्थ - 

👉 हमारा राज्य सर्व कल्याणकारी राज्य हो। हमारा राज्य सर्व उपभोग्य वस्तुओं से परिपूर्ण हो। यहां लोकराज्य हो। हमारा राज्य आसक्तिरहित, लोभरहित हो। ऐसे परमश्रेष्ठ महाराज्य पर हमारी अधिसत्ता हो। हमारा राज्य क्षितिज की सीमा तक सुरक्षित रहें। समुद्र तक फैली पृथ्वी पर हमारा दीर्घायु अखंड राज्य हो। हमारा राज्य सृष्टि के अंत तक सुरक्षित रहें।

 

पुष्पांजलि चतुर्थ मंत्र : - 


ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।

मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।

आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥

॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥


पुष्पांजलि चतुर्थ मंत्र हिन्दी भावार्थ - 


👉राज्य के लिए और राज्य की कीर्ति गाने के लिए यह श्लोक गाया गया है। अविक्षित के पुत्र मरुती, जो राज्यसभा के सर्व सभासद है ऐसे मरुतगणों द्वारा परिवेष्टित किया गया यह राज्य हमें प्राप्त हो यहीं कामना।



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