निरखत | Shri Salasar Balaji Bhajan | दरबार सजा तेरा न्यारा निरखत निरखत मैं हारा | by Pragya sharma -Bhaktilok

Deepak Kumar Bind




निरखत | Shri Salasar Balaji Bhajan | दरबार सजा तेरा न्यारा निरखत निरखत मैं हारा | by Pragya sharma -Bhaktilok







दरबार सजा  तेरा न्यारा

निरखत निरखत मैं हारा 


सालासर थारो भवन विराजे 

झालर शंख नगाड़ा बाजे 

थारा सूरज सामी सा द्वारा 

निरखत निरखत मैं हारा 


दूर देश से चल कर आवां

नाचां गावां थाने रिझावन 

थे हो भक्तां का पालनहारा 

निरखत निरखत मैं हारा 


चैत सुदी पूनम को मेलो 

भक्तां को लागो है रेलों 

थारे नाम का गूंजे जैकारा 

निरखत निरखत मैं हारा 


माँ अंजनी का लाल कहावो 

राम की महिमा हर दम गावो

म्हारी नैया करयो भव पारा 

निरखत निरखत मैं हारा



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