Shree Ram Stuti | श्री राम स्तुति | Gaurangi Gauri Ji | Shri Ramchandra Kripalu Bhajman | Ram Bhajan - BhaktiLok

Deepak Kumar Bind


Shree Ram Stuti | श्री राम स्तुति | Gaurangi Gauri Ji | Shri Ramchandra Kripalu Bhajman | Ram Bhajan - BhaktiLok


Shree Ram Stuti | श्री राम स्तुति | Gaurangi Gauri Ji | Shri Ramchandra Kripalu Bhajman | Ram Bhajan



 श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं | नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं || कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरं | पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि, नोमि जनक सुतावरं || भजु दीनबन्धु दिनेश दानव, दैत्य वंश निकन्दनं | रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल, चन्द दशरथ नन्दनं || शिर मुकुट कुंडल तिलक, चारु उदारु अङ्ग विभूषणं | आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम जित खरदूषणं || इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष मुनि मन रंजनं | मम् हृदय कंज निवास कुरु, कामादि खलदल गंजनं || मन जाहि राच्यो मिलहि सो, वर सहज सुन्दर सांवरो | करुणा निधान सुजान शील, स्नेह जानत रावरो || एहि भांति गौरी असीस सुन सिय, सहित हिय हरषित अली | तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि, मुदित मन मन्दिर चली || श्री राम स्तुति सोरठा :- जानी गौरी अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि | मंजुल मंगल मूल वाम, अङ्ग फरकन लगे || || सियावर राम चन्द्र की जय 

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