हे भोले नाथ हे कैलाशी
स्थाई- हे भोलेनाथ, हे कैलाशी, हे नीलकंठ पर्वत वासी, हे महादेव, हे सन्यासी, सन्यासी - सन्यासी, तू अमरनाथ, तू ही काशी........... तू अमरनाथ, तू ही काशी........ अंतरा- १ तीनों लोक में भोलेशंकर, तेरा ही डंका बाजे, कोरस- बाजे - बाजे, जटा में तूने गंगा समाई, माथे चंदा विराजे, ॐ नमः - ॐ नमः , हे महादेव, हे सन्यासी, सन्यासी - सन्यासी, तू अमरनाथ, तू ही काशी........... तू अमरनाथ, तू ही काशी........ अंतरा- २ बर्फीले पर्वत पे बैठा है वो नंदी वाला, कोरस- वाला - वाला, डम-डम-डम-डम डमरू बजाये पहने सर्प की माला, ॐ नमः - ॐ नमः , हे महादेव, हे सन्यासी, सन्यासी - सन्यासी, तू अमरनाथ, तू ही काशी........... तू अमरनाथ, तू ही काशी........ अंतरा- ३ तुम हो दयालु, तुम कृपालु, तुम हो तारन हारा, कोरस- हारा - हारा, सर पे तेरा हाथ रहे अनिल ने तुझे पुकारा, ॐ नमः - ॐ नमः , हे महादेव, हे सन्यासी, सन्यासी - सन्यासी, तू अमरनाथ, तू ही काशी........... तू अमरनाथ, तू ही काशी........ अंतरा- ४ तेरे द्वार पे लेके कांवड़ भोले जो भी आये, कोरस- आये - आये, बिन मांगे तू देता सबको खाली हाथ ना जाये, ॐ नमः - ॐ नमः , हे महादेव, हे सन्यासी, सन्यासी - सन्यासी, तू अमरनाथ, तू ही काशी........... तू अमरनाथ, तू ही काशी........
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