दरबार मिला मुझको दरबार मिला मुझको भजन इन हिंदी लिरिक्स

Deepak Kumar Bind

दरबार मिला मुझको दरबार मिला मुझको भजन इन हिंदी लिरिक्स



दरबार मिला मुझको दरबार मिला मुझको
जो श्याम तुम्हारा है
दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है
दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है
दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है
दरबार मिला मुझको जो श्याम तुम्हारा है
ये कर्म ना थे मेरे ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है
ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है
दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है
कल दिन थे गरीबी के अब रोज दिवाली है
कल दिन थे गरीबी के अब रोज दिवाली है
कल दिन थे गरीबी के अब रोज दिवाली है
किस्मत ये नहीं मेरी किस्मत ये नहीं मेरी
वरदान तुम्हारा है,
किस्मत ये नहीं मेरी वरदान तुम्हारा है
ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है
दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है
ठुकराने वालों ने पलकों पे बिठाया है
ठुकराने वालों ने पलकों पे बिठाया है
ठुकराने वालों ने पलकों पे बिठाया है
ये शान नहीं मेरी ये शान नहीं मेरी ये सम्मान तुम्हारा है
ये शान नहीं मेरी सम्मान तुम्हारा है
ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है
दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है
एक वक्त के मारे ने किस्मत को हरा डाला
एक वक्त के मारे ने किस्मत को हरा डाला
एक वक्त के मारे ने किस्मत को हरा डाला
औकात न थी मेरी औकात न थी मेरी
औकात न थी मेरी ये काम तुम्हारा है
ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है
दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है
निर्बल को अपनाना निर्धन के घर जाना
निर्बल को अपनाना निर्धन के घर जाना
ये शौक नहीं तेरा ये शौक नहीं तेरा
ये विधान तुम्हारा है
ये शौक नहीं तेरा ये विधान तुम्हारा है
ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है
दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है
रोते को हसाता तू गिरते को उठाता तू
रोते को हसाता तू गिरते को उठाता तू
रोते को हसाता तू गिरते को उठाता तू
सोनू तभी दीनदयाल सोनू तभी दीनदयाल
पड़ा नाम तुम्हारा है
सोनू तभी दीनदयाल पड़ा नाम तुम्हारा है
ये कर्म ना थे मेरे अहसान तुम्हारा है
दरबार मिला मुझकों जो श्याम तुम्हारा है !!

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