कुंभ मेला का अद्भुत नज़ारा (kumbh mele ka adbhut najaara lyrics in hindi)
कुंभ मेला का अद्भुत नज़ारा
चारों ओर श्रद्धा का सहारा।
नदी के तट पर साधुओं का बसेरा,
धर्म और आस्था का चेहरा।
मां गंगा की लहरों में है शक्ति,
स्नान से मिलती हर मन की भक्ति।
अखाड़ों की शोभा, साधु-संतों की टोली,
ध्वज पताकाओं की गूंजती बोली।
(संगीतमय वर्णन)
हर तरफ भक्तों का उमड़ा सैलाब,
दर्शन के लिए सबका बढ़ता आलाप।
आस्थाओं की गंगा में बहते लोग,
मंत्रों की ध्वनि से गूंजते संजोग।
चारों दिशाओं में धूप और दीप,
धर्म की महिमा, हर कण में दीप।
संतों का उपदेश, तप का उजियारा,
कुंभ मेला का अद्भुत नज़ारा।
(संगीतमय उपसंहार)
त्रिवेणी का संगम, पावन ये धरती,
हर जन्म की व्यथा को करती ये सटीक।
कुंभ का मेला, आस्था का आधार,
जग में सबसे अनूठा ये त्यौहार।
संपूर्ण भक्ति भाव और उत्साह से गाया जाता है।
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