बनवारी गिरधारी अब राखो लाज हमारी
लाज ही है अब मुझ निर्धन की जीवन पूँजी सारी
बनवारी गिरधारी..........||
सरे बाज़ार में आज ऐ बाबा लुट रही लाज हमारी
चुप बैठे दीनो के नाथ तुम फिकर नहीं क्या हमारी
अब तो हमको मोहन बस एक आस लगी है तुम्हारी
बनवारी गिरधारी..........||
तेरे द्वार पे ओ सांवरिया आते है लाज के मारे
मेरी लाज का तू रखवाला तुझको ही आज पुकारें
तू भी जो अनसुनी करेगा कौन सुनेगा हमारी
बनवारी गिरधारी..........||
रागी की लाज पे जब जब आई दौड़े हो तुम ही कन्हैया
बिन पतवार के डूब गई जो दरश की लाज की नैया
कहाँ गए तेरे मोहन पगली पूछेगी दुनिया सारी
बनवारी गिरधारी..........|
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