हैं आँख वो जो श्याम का दर्शन किया करे
है शीश जो प्रभु चरण में वंदन किया करे
बेकार वो मुख है जो रहे व्यर्थ बातों में
मुख है वो जो हरी नाम का सुमिरन किया करे
हीरे मोती से नहीं शोभा है हाथ की
है हाथ जो बहगवां का पूजन किया करे
मर कर भी अमर नाम है उस जीव का जग में
प्रभु प्रेम में बलिदान जो जीवन किया करे
ऐसी लागि लगन मीरा हो गई मगन
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी
महलो में पली बन के जोगन चली
मीरा रानी दीवनै कहानी ले
ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन ............
कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी
बैठी संतो के संग रंगी मोहन के रंग
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी
ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन ............
राणा ने विष दिया मानो अमृत पिया
मीरा सागर में सरिता समाने लगी
दुःख लाखों सही मुख से गोविन्द कहे
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी
ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन ............
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