क्या बतलाऊँ कितना मुझे सताती है
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती है
हर लम्हा आकर मुझको तड़पाती है
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती है
तेरी यादों में ही खोया रहता हूँ
बिन तेरे मोहन मैं रोता रहता हूँ
बैठ के तन्हाई में मोहन केवल
तेरे बारे में ही सोचता रहता हूँ
सोचते सोचते आँख मेरी भर आती है
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती है
गोकुल वृन्दावन में भी मैं घूम लिया
मथुरा की गलियों में तुझको ढूंढ लिया
तेरी कोई खबर कहीं ना मिल पाई
हर आने जाने वाले से पूछ लिया
तेरी तलाश मुझे दर दर भटकाती है
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती है
ढूंढते ढूंढते तुझको नैन मेरे हारे
एक दफा खुद आकर मिल जाओ प्यारे
शर्मा तेरी प्रीत में मोहन पागल है
नैनो से अश्क़ों के बहते हैं धारे
मेरे तन से जान निकल कर जाती है
तेरी याद कन्हैया बड़ा रुलाती है
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