Wo Hai Shyam Dhani | हाथों को मेरे जिसने है थामा वो है श्यामधणी | Khatu Shyam Bhajan by Mohit Saxena - BhaktiLok
Wo Hai Shyam Dhani | हाथों को मेरे जिसने है थामा वो है श्यामधणी | Khatu Shyam Bhajan by Mohit Saxena
हाथों को मेरे जिसने है थामा वो है श्यामधणी विपदाओं से जिसने निकाला वो है श्यामधणी तुम ही हो माता तुम ही पिता हो भाई तुम्ही हो तुम ही सखा हो हाथों को अपने आगे बढ़ाओ मुझ बेबस को गले से लगाओ अपने सखा की लाज जो राखे वो है श्यामधणी हाथों को मेरे जिसने है थामा वो है श्यामधणी सारी दुनिया का ठुकराया घूम लिया जग दर तेरे आया दर तेरे आके सर को झुकाया आँखे थी बरसी मन हर्षाया आंसू को मेरे जिसने था पोंछा वो है श्यामधणी हाथों को मेरे जिसने है थामा वो है श्यामधणी सूरत की गर्मी से लेकर फूलों की खुशबू तक तुम्हे जो भी हार दर तेरे आया उस हारे का सहारा तुम हो मोहित के जीवन का सहारा वो है श्यामधणी हाथों को मेरे जिसने है थामा वो है श्यामधणी
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