जिस नारी को संतान ना हो | पंडित प्रदीप मिश्रा जी Shiv Mahapuran Katha -
जिस नारी को संतान ना हो | पंडित प्रदीप मिश्रा जी (सीहोर वाले) | Shiv Mahapuran Katha
सात शिव महापुराण की कथा कहती है। आप अगर विश्वास रखते हो। सफेद आंकड़े की जड़। जिस नारी का संतान नहीं हो, गर्भ नहीं ठहरा हो। सफेद आंकड़े की जड़। जिस देवाधिदेव महादेव की कथा जिस तुम गुरु काजी ने श्रवण कराई है, शंकर भगवान जिनके सामने बैठकर शिव पुराण की कथा सुन रहे हैं, उन तुमकुरु काजी का नाम लेकर शिवलिंग पर से 21 बार घुमाकर मंदिर में ही कमर पर सातवें दिन रजस्वला धर्म के जो बांध लेता है और एक पीपल का पत्ता। अवध भूतेश्वर महादेव का नाम लेकर शंकर पर चढ़ाकर उसको गाय के दूध में डालकर रात्रि को दोनों पति पत्नी अगर पीकर सोते हैं। तीन महीने में भगवान भोले नाथ उसकी गोद भर देते हैं। शिव तत्व। शंकर देता जरूर है। माता अंजना के यहां स्वयं शिव महापुराण की कथा कहती है। स्वयं शास्त्र वर्णन करता है माता अंजना माता के गर्भ से संतान नहीं हुई। 42 वर्ष की माता अंजना हो गई थी और 42 वर्ष की होने के बाद भी माता अंजना के गर्भ से संतान नहीं थी। जब संतान नहीं हुई तो बार बार निवेदन करा महाराज केसरी से तब नहीं संतान हुई तब अपने पिता से जाकर निवेदन करा। पिताजी गौतम बाबा से निवेदन करती हैं माता अंजना कि मेरे गर्भ से संतान नहीं मुझे औलाद नहीं क्या करूं?
तब गौतम बाबा ने कहा एक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करो, मिट्टी का शिवलिंग बनाओ, उसकी पूजन करो और माता अंजना उस मिट्टी के शिवलिंग के पूजन में ऐसी लीन हो गई, ऐसी लीन हो गई कि मिट्टी का शिवलिंग का निर्माण करती, पूजन करती। एक बार देवाधिदेव महादेव ने कह दिया जाओ पार्वती, जरा जाकर पूछो कि अंजना को चाहिए क्या? अंजना माता को चाहिए क्या? जब सारे देवताओं को सबसे ज्यादा टेंशन देवाधिदेव महादेव से रहता है। क्योंकि बिना सोचे, बिना समझे किसको क्या दिया कोई भरोसा ही नहीं होता। एक बार तो ब्रह्मा जी ने खुद ने कह दिया साहब हमको तो इस्तीफा दे दो। हमको नौकरी करना ही नहीं, बैकुण्ठ में बिल्कुल भी। तो भगवान विष्णु ने पूछा हुआ क्या बस प्रभु? राजा श्वेत की अंतिम समय प्राण छूटने का दिन उसको यमराज लेने के लिए गए और देवाधिदेव महादेव वहां खड़े हो गए। और क्या क्या लेकर मत चले जाना उसकी अंतिम सांस और क्या लेकर मत जाना। और मेरा बेटा जब लाने लगा तो उसके प्राणों को हर लिया। यमराज मर गया। फिर मेरी पोती गई मृत्यु देवी उससे कहा उठाना राजा स्वयं को, वह राजा स्वयं को। जैसी मृत्यु देवी ने फाँस डाली, भगवान शंकर ने उसको भी मार दिया। अब बताओ। सूर्यनारायण भगवान बोले कि मेरा बेटा भी मर गया, मेरी पोती भी मर गई। अब बताओ क्या करें?
तो भगवान ब्रह्मा जी ने शंकर जी से जाकर कहा भोलेनाथ यह आपकी आदत बहुत गलत है। जब इसको मरना था तो आपने क्यों बचाया? शंकर जी बोले मेरे मंदिर में बैठा था। जागा तो देखो कि कहां बैठा है। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से कहा हमको यह काम नहीं करना, आप तो हमारा इस्तीफा स्वीकार करो। भगवान विष्णु ने शंकर जी से कहा भोलेनाथ जी अब इनके बेटे को, सूर्य नारायण के पुत्र को और पोथी को जीवित करो। शंकर भगवान करे एक शर्त पर जीवित करूंगा। जहां मेरा भजन हो रहा हो, जहां मेरी कथा हो रही हो। अगर कोई महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहा हो, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं जप रहा हो, शंकर का पंचाक्षर मंत्र नमः शिवाय जप रहा हो। शंकर जी कहते हैं उस समय पर मृत्यु उसको न घेरे तो इतने में सूर्य नारायण भगवान कहते हैं। शपथ लेता हूं, संकल्प लेता हूं। जहां आपका नाम होगा। अगर पृथ्वी पर कोई मरने का भी समय आ गया तो पहले आपसे पूछा जाएगा। उठा ले। तुम बोलोगे तो बात दूसरी है। शंकर जी बोले हम बताएंगे तो उठाना, हम बोल दें। अगर यह शंकर जी का नाम जप रही है और पड़ोसन नी जप रही है तो हम इशारा कर देंगे। बाजू वाली को उठाकर तुम टेंशन मत ले जाओ तो शिव जप। अब क्या सोचना। अब सोचो क्या?
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